धान-गेहूं छोड़कर केले की खेती में किया शानदार मुनाफा, जानें यूपी के सुल्तानपुर के इन किसानों की सफलता की कहानी

  • On: November 19, 2025
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सुल्तानपुर के किसान केले की खेती करते हुए, खेत में लगे केले के पौधे और किसानों की मेहनत का प्रतीक

आजकल, किसानों के लिए पारंपरिक फसलों से आगे बढ़ने और कुछ नया करने की दिशा में कई विकल्प हैं। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में ऐसे ही कुछ किसानों ने पारंपरिक फसलों जैसे धान और गेहूं की खेती छोड़कर केले की खेती को अपनाया और इसमें शानदार मुनाफा कमाया। इस ब्लॉग में हम आपको उन पांच किसानों की दिलचस्प कहानियां बताने जा रहे हैं जिन्होंने केले की खेती को अपना मुख्य व्यवसाय बनाया और इसमें विशेष सफलता हासिल की है।

1. करुणाशंकर मिश्रा: केले से कमाई की नई राह

सुल्तानपुर के बल्दीराय क्षेत्र के रहने वाले किसान करुणाशंकर मिश्रा ने पारंपरिक फसलों को छोड़कर केले की खेती को अपना मुख्य व्यवसाय बनाया। उन्होंने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि उनका 5 बीघा खेत है, जिसमें उन्होंने 1700 केले के पौधे लगाए। इन पौधों की पूरी देखभाल में उन्हें कुल 1 लाख रुपये की लागत आई, और जब इन पौधों से फल तैयार हुए, तो उन्होंने 5 लाख रुपये का केला बेचा। करुणाशंकर ने बताया कि इस खेती से उन्हें शानदार मुनाफा हुआ और अब वह अपनी अधिकांश ज़मीन पर केवल केले की खेती ही करते हैं।

2. कृष्ण कुमार सिंह: 1 एकड़ में किया शानदार मुनाफा

सुल्तानपुर के बल्दीराय तहसील के एक छोटे से गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार सिंह ने भी धान और गेहूं की पारंपरिक खेती को छोड़कर केले की खेती शुरू की। उन्होंने 1 एकड़ में 1100 केले के पौधे लगाए, जिनकी लागत लगभग 1 लाख रुपये आई। तैयार फसल को बेचकर उन्होंने 3 लाख रुपये का लाभ कमाया। कृष्ण कुमार सिंह की यह सफलता यह साबित करती है कि केले की खेती एक अच्छा और लाभकारी व्यवसाय बन सकती है।

3. अनुपम यादव: 5000 से अधिक केले के पौधे, मुनाफा दोगुना

अनुपम यादव, जो सुल्तानपुर जिले के एक किसान हैं, ने केले की खेती में बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने 5000 से अधिक केले के पौधे लगाए हैं, जो लगभग 2.5 एकड़ भूमि में फैल गए हैं। इन पौधों को उन्होंने उद्यान विभाग से मंगवाया था और अब वे अपनी खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अनुपम यादव का कहना है कि केले की खेती से उन्हें समय पर अच्छी आमदनी होती है और यह एक स्थिर आय का स्रोत बन चुका है।

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4. दलजीत वर्मा: केले के साथ-साथ सब्जियों की भी खेती

दलजीत वर्मा, जो सुल्तानपुर के हरिपुर बनवा गांव के निवासी हैं, ने लगभग 670 केले के पौधे लगाए हैं। वे न सिर्फ केले की खेती करते हैं, बल्कि उन्होंने केले के पौधों के नीचे सब्जियों की नर्सरी भी शुरू की है। वे तकनीकी कृषि विधियों का पालन करते हुए गोभी, मिर्च, लौकी, और नेनुआ जैसी सब्जियों की भी खेती करते हैं। उनके इस प्रयास से दो फसलों का लाभ मिल रहा है और उन्हें बाजार में इन सब्जियों की अच्छी खपत भी मिल रही है। दलजीत वर्मा का यह उदाहरण दिखाता है कि कैसे केले की खेती के साथ अन्य फसलों की खेती करके एक किसान अधिक लाभ कमा सकता है।

5. सुल्तानपुर के अन्य किसान: केले की खेती से बढ़ती आमदनी

सुल्तानपुर जिले में कई और किसान हैं जिन्होंने केले की खेती को अपनाया है और अब यह उनकी आय का मुख्य स्रोत बन चुका है। जिले के किसान अब पारंपरिक खेती के बजाय उच्च मूल्य वाले कृषि उत्पादों जैसे केले की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। केले की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली साबित हो रही है और किसानों को इसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।

क्यों है केले की खेती एक बेहतरीन विकल्प?

केले की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की उपलब्धता और मौसम अनुकूल हो। यह फसल कम लागत में तैयार हो जाती है और इसके फल जल्दी बिक जाते हैं। केले की खेती में कोई विशेष तकनीकी कौशल की आवश्यकता नहीं होती और यह फसल पूरे साल का मुनाफा देती है। इसके अलावा, केले की मांग निरंतर बनी रहती है, जिससे किसानों को इस फसल से स्थिर आय प्राप्त होती है।

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निष्कर्ष :

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के ये किसान यह साबित करते हैं कि पारंपरिक खेती के मुकाबले केले की खेती एक स्मार्ट और लाभकारी विकल्प हो सकता है। अगर किसान अपनी मेहनत और सही तकनीक का इस्तेमाल करें, तो वे कम लागत में बेहतरीन मुनाफा कमा सकते हैं। इस बदलाव को अपनाकर, इन किसानों ने न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ाई, बल्कि अपने गांव और इलाके में भी एक नई प्रेरणा दी है।

अंत में, हम यही कह सकते हैं कि केले की खेती एक चमकते हुए अवसर की तरह है, जो किसानों के जीवन में खुशहाली ला सकता है।

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