New Gratuity Rule: अब सिर्फ एक साल की नौकरी पर ग्रेच्युटी

  • On: November 22, 2025
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New Gratuity Rule 2025 में गिग और संविदा कर्मचारियों को एक साल में ग्रेच्युटी का लाभ

गिग और संविदा कर्मचारियों को क्या मिलेगा फायदा? जानें नए लेबर कोड्स की पूरी जानकारी

भारत में श्रम कानूनों के इतिहास में एक बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला है। 21 नवंबर 2025 से चार नई श्रम संहिताएं (Labour Codes) पूरे देश में लागू कर दी गई हैं, जो 29 पुराने और जटिल श्रम कानूनों की जगह लेंगी। इन सुधारों का उद्देश्य श्रमिकों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा देना और उद्योगों के लिए एक पारदर्शी, सरल और आधुनिक ढांचा तैयार करना है।

इन नए नियमों के लागू होने के बाद अब कर्मचारियों को सिर्फ एक साल की निरंतर सेवा के बाद ही ग्रेच्युटी का अधिकार मिल सकेगा, जो पहले 5 साल की सेवा के बाद मिलता था। यह बदलाव खासतौर पर गिग, प्लेटफॉर्म और संविदा कर्मियों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा।

क्या हैं नई श्रम संहिताएं?

सरकार ने चार प्रमुख लेबर कोड्स को लागू किया है:

  • वेतन संहिता, 2019

  • औद्योगिक संबंध संहिता, 2020

  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020

  • व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता, 2020

इन संहिताओं के तहत श्रम कानूनों को आधुनिक बनाने के साथ-साथ बदलती कार्य संस्कृति के अनुसार ढाला गया है, जिससे रोजगार और सामाजिक सुरक्षा दोनों को मजबूती मिलेगी।

नए लेबर कोड्स क्यों हैं ऐतिहासिक?

भारत के अधिकांश श्रम कानून 1930 से 1950 के बीच बनाए गए थे, जो आज के डिजिटल युग और गिग इकॉनमी के अनुरूप नहीं थे। इन पुराने नियमों के कारण नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों को कई तरह की कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ता था। अब नई संहिताएं इन समस्याओं को दूर करेंगी और देश को वैश्विक श्रम मानकों के अनुरूप बनाएंगी।

नई श्रम संहिताओं के मुख्य उद्देश्य

  • श्रम नियमों का आधुनिकीकरण

  • सामाजिक सुरक्षा का विस्तार

  • कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा

  • उद्योगों को लचीला और प्रतिस्पर्धी बनाना

  • आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को समर्थन

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नए लेबर कोड्स से किसे क्या फायदा?

1. गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को कानूनी पहचान

पहली बार ‘गिग वर्क’ और ‘प्लेटफॉर्म वर्क’ को कानूनी मान्यता दी गई है। इसके तहत:

  • एग्रीगेटर कंपनियों को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1-2% वेलफेयर फंड में देना होगा।

  • यह राशि गिग श्रमिकों को दिए गए भुगतान के 5% तक सीमित रहेगी।

  • आधार-लिंक्ड यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) से लाभ पोर्टेबल होंगे।

  • श्रमिक किसी भी राज्य में काम करें, उन्हें सुविधाएं मिलती रहेंगी।

2. संविदा कर्मचारियों को स्थायी सुरक्षा

फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट (FTE) के जरिए संविदा कर्मचारियों को भी स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं मिलेंगी:

  • 1 साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी का अधिकार

  • स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा अनिवार्य

  • मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच

  • कानूनी संरक्षण और स्थायित्व की भावना

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3. कामकाजी माहौल में बड़ा बदलाव

  • 8 घंटे की कार्य-सीमा तय

  • नियुक्ति पत्र अनिवार्य

  • महिलाएं रात में भी सभी प्रकार के कार्य कर सकेंगी

  • मीडिया और ऑडियो-वीडियो कर्मी भी श्रमिकों की परिभाषा में शामिल

  • 500+ कर्मचारी वाले संस्थानों में सुरक्षा समिति अनिवार्य

4. औद्योगिक संबंध संहिता के लाभ

  • ‘श्रमिक’ की परिभाषा का दायरा विस्तृत

  • वर्क फ्रॉम होम को वैध व्यवस्था

  • शिकायत निवारण समितियों में महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य

  • कई अपराधों का डिक्रिमिनलाइजेशन

  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और रिकॉर्ड की सुविधा

क्यों अहम हैं ये बदलाव?

  • गिग इकॉनमी में काम करने वालों को पहली बार सामाजिक सुरक्षा मिलेगी

  • संविदा कर्मचारियों को स्थायित्व मिलेगा

  • डिजिटल प्रक्रिया से नियमों का पालन आसान होगा

  • महिलाओं और प्रवासी श्रमिकों के अधिकार मजबूत होंगे

  • रोजगार की गुणवत्ता में सुधार होगा

निष्कर्ष

नई श्रम संहिताएं भारत के श्रम तंत्र को एक नई दिशा देंगी। जहां एक ओर कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा और सुविधाएं मिलेंगी, वहीं दूसरी ओर उद्योगों को भी एक स्थायी और लचीला ढांचा मिलेगा। खासतौर पर गिग और संविदा कर्मचारियों के लिए यह बदलाव गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

यदि आप गिग वर्कर, संविदा कर्मचारी या किसी संगठन से जुड़े हैं, तो यह जरूरी है कि आप इन नए नियमों को समझें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।

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