एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस: एक बढ़ता हुआ खतरा और उसका समाधान

  • On: November 19, 2025
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एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस पर जानकारी, भारत में बढ़ते बैक्टीरिया और दवाइयों के असर न करने के कारण।

आजकल, लोग छोटी-बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग बढ़ाते जा रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके कारण एक नया खतरा पैदा हो रहा है? एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (Antibiotic Resistance) नामक यह समस्या अब भारत में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है। हाल ही में एक स्टडी से पता चला है कि भारत में 83% मरीज ऐसे बैक्टीरिया से संक्रमित हैं जो सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट (प्रतिरोधी) हो चुके हैं। इस ब्लॉग में हम एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के बढ़ते खतरे और इसके कारणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस क्या है?

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस वह स्थिति है जब बैक्टीरिया दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी (Resistant) हो जाते हैं, जिससे उन पर दवाइयों का असर नहीं होता। आमतौर पर, जब किसी व्यक्ति को संक्रमण होता है, तो डॉक्टर उसे एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं, जो संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारने का काम करती हैं। लेकिन जब बैक्टीरिया दवाओं के प्रभाव से बचने के लिए अपनी संरचना में बदलाव कर लेते हैं, तो दवाएं उनके खिलाफ बेअसर हो जाती हैं।

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का बढ़ता हुआ खतरा

भारत में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। द लैंसेट-ईक्लिनिकल मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 83% मरीजों में ऐसे बैक्टीरिया पाए गए हैं जो कई तरह की एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति रेजिस्टेंट हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि 70% से अधिक मामलों में ESBL (Extended Spectrum Beta-Lactamases) उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया पाए गए हैं, जो सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं को निष्क्रिय कर देते हैं। इसके अलावा, 23% मामलों में ऐसे बैक्टीरिया पाए गए जो सबसे ताकतवर एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ भी प्रतिरोधी हो चुके हैं।

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के कारण

  • गलत और जरूरत से ज्यादा दवाइयों का इस्तेमाल: आमतौर पर, लोग सर्दी-खांसी जैसे छोटे संक्रमण में भी बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक लेना शुरू कर देते हैं। इससे बैक्टीरिया को दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी बनने का मौका मिलता है।
  • दवाओं का पूरा कोर्स ना करना: अक्सर लोग एंटीबायोटिक दवाओं का पूरा कोर्स नहीं करते और बीच में ही दवा लेना बंद कर देते हैं। इससे बैक्टीरिया पूरी तरह से नहीं मरे और धीरे-धीरे दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी हो जाते हैं।
  • पशुपालन और कृषि में एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग: कृषि और पशुपालन में एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग भी इस समस्या को बढ़ाता है, क्योंकि यह बैक्टीरिया को प्रतिरोधी बनाने में मदद करता है।
  • गलत एंटीबायोटिक का चयन: कई बार मरीज खुद से दवाइयों का चयन करते हैं या डॉक्टर गलत एंटीबायोटिक प्रिस्क्राइब करते हैं, जिससे बैक्टीरिया पर दवाओं का असर नहीं होता।
  • फर्जी और खराब गुणवत्ता वाली दवाइयां: बाजार में फर्जी और खराब गुणवत्ता वाली दवाइयां भी इस समस्या को बढ़ाती हैं, क्योंकि ये बैक्टीरिया को मारने में असफल रहती हैं।
  • अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण की कमजोर व्यवस्था: अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण की कमजोर व्यवस्था भी एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को बढ़ावा देती है, क्योंकि बैक्टीरिया का फैलाव यहां तेज़ी से होता है।

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एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से उत्पन्न खतरे

अगर एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस इसी गति से बढ़ता रहा, तो आने वाले समय में साधारण संक्रमण भी जानलेवा साबित हो सकते हैं। दवाओं का असर न होने के कारण इलाज लंबा, महंगा और मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही, नए एंटीबायोटिक दवाओं का निर्माण भी एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, क्योंकि यह प्रक्रिया काफी समय और संसाधन लेती है।

भविष्य में होने वाले स्वास्थ्य संकट की संभावना

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहले ही चेतावनी दी है कि यदि इस समस्या पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है। इसके परिणामस्वरूप साधारण संक्रमण से भी मौतें हो सकती हैं। इसके अलावा, रोगों का इलाज महंगा और कठिन हो सकता है, जो स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर भारी दबाव डालेगा।

समाधान और सुझाव

  • दवाइयों का सही तरीके से उपयोग: हमें एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए और दवाओं का पूरा कोर्स पूरा करना चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: लोगों को इस समस्या के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है, ताकि वे बिना जरूरत के एंटीबायोटिक का उपयोग ना करें।
  • स्वच्छता और संक्रमण नियंत्रण: अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं में संक्रमण नियंत्रण को कड़ा करना चाहिए, ताकि बैक्टीरिया का फैलाव रोका जा सके।
  • नए एंटीबायोटिक का विकास: सरकार और फार्मा कंपनियों को नए एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में निवेश बढ़ाना चाहिए, ताकि रेजिस्टेंट बैक्टीरिया का इलाज संभव हो सके।

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निष्कर्ष

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक बढ़ता हुआ वैश्विक खतरा है, जो हमारे लिए आने वाले समय में बड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकता है। इसके कारण हमें अपनी दवाइयों के उपयोग को समझदारी से करना होगा और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को और मजबूत बनाना होगा। इससे न सिर्फ हमारा इलाज संभव रहेगा, बल्कि हम भविष्य में इस समस्या से निपटने में भी सक्षम होंगे।

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