कैसे करें उत्पन्ना एकादशी की पूजा? जानिए सरल कदम, मंत्र और उपवास का सही तरीका

  • On: November 20, 2025
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उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि 2025 - भगवान विष्णु की पूजा, मंत्र और उपवास का सही तरीका

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि 2025

उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को प्रगाढ़ करना है, बल्कि यह शरीर और मन को शांति, संतुलन और ऊर्जा देने का भी एक अद्भुत अवसर है। उत्पन्ना एकादशी का उपवास और पूजा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इस लेख में हम आपको सरल तरीके से उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि, मंत्र, उपवास के लाभ और सही तरीका बताएंगे।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

उत्पन्ना एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि से धरती पर निवास करने का वचन लिया था। इसलिए इसे भगवान विष्णु की पूजा और उपवास का दिन माना जाता है।

उत्पन्ना एकादशी पूजा की विधि

उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि को सरल और व्यवस्थित तरीके से किया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख चरणों का वर्णन किया गया है:

1. सुबह की तैयारी

उत्पन्ना एकादशी की पूजा सुबह जल्दी उठकर की जाती है। इस दिन का वातावरण शांति और सकारात्मकता से भरपूर होना चाहिए। नहाने से पहले घर की हल्की सफाई कर लें, ताकि वातावरण स्वच्छ और शुद्ध हो। फिर, नहाने के बाद साफ़ और हल्के रंग के कपड़े पहनें।

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2. पूजा स्थान की सेटिंग

पूजा के लिए एक शांत स्थान का चयन करें। यह स्थान वह हो सकता है जहां आप नियमित रूप से पूजा करते हैं या आप इस दिन के लिए नया स्थान तैयार कर सकते हैं। वहां एक लकड़ी की पाट या चौकी रखें और उस पर साफ़ कपड़ा बिछाएं। अब, भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। साथ ही, तुलसी का पौधा रखें क्योंकि तुलसी की पूजा इस दिन विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।

3. दीप और धूप जलाना

पूजा की शुरुआत करने से पहले दीपक जलाएं। तेल या घी में से किसी का भी उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, धूप-बत्ती लगाकर पूजा स्थल को शुद्ध और सुगंधित बनाएं। यह वातावरण को शांति प्रदान करता है और मन को पूजा में एकाग्र करने में मदद करता है।

4. जल अर्पण और फूल चढ़ाना

भगवान विष्णु के सामने तांबे या पीतल के लोटे में जल भरकर अर्पित करें। इसके साथ ही, पीले या सफेद रंग के फूल चढ़ाएं। यह शुद्धता और भक्ति का प्रतीक है। ध्यान रखें कि ज्यादा वस्तुएं रखने की आवश्यकता नहीं है, केवल शुद्ध मन और भावना मायने रखती है।

5. मंत्र और प्रार्थना

आपको पूजा में कोई लंबा या कठिन मंत्र पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। आप "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप कर सकते हैं। इसे 11, 21 या जितनी बार आपका मन करें, उतनी बार बोलें। इसके अलावा, आप भगवान विष्णु से अपनी परेशानियों, इच्छाओं और शुभकामनाओं को भी व्यक्त कर सकते हैं।

6. तुलसी पूजा

इस दिन तुलसी को जल अर्पित करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। तुलसी के पौधे के पास एक दीपक रखें और हल्का सा पानी चढ़ाएं। तुलसी के चारों ओर घुमा सकते हैं, लेकिन यह आपके अनुसार हो सकता है।

7. उपवास का तरीका

उत्पन्ना एकादशी के दिन उपवास करना अनिवार्य होता है। उपवास का तरीका व्यक्ति के अनुसार भिन्न हो सकता है। कुछ लोग केवल पानी पीते हैं, जबकि कुछ फल या हल्का भोजन लेते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उपवास को शरीर की क्षमता के अनुसार करें और मानसिक रूप से शांत और संतुलित रहें। नकारात्मक विचारों, झगड़ों और क्रोध से दूर रहें।

8. शाम की पूजा

शाम को फिर से दीपक जलाकर भगवान विष्णु को प्रणाम करें। आप चाहें तो छोटी आरती भी कर सकते हैं। दिनभर की थकान के बाद यह पल मानसिक शांति प्रदान करता है और पूजा का पूरा लाभ देता है।

9. अगले दिन पारण

एकादशी का उपवास अगले दिन सूर्योदय के बाद हल्का भोजन लेकर खोला जाता है, जिसे "पारण" कहते हैं। पारण के समय ध्यान रखें कि मन शांत हो और भोजन हल्का हो। यह उपवास का अंतिम चरण है, और इससे आपके शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

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निष्कर्ष

उत्पन्ना एकादशी का उपवास और पूजा एक खास अवसर है, जब हम अपनी मानसिक स्थिति को संतुलित करने और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यह दिन न केवल आध्यात्मिक उन्नति का समय है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करता है। सरलता से पूजा करने और उपवास रखने से आप इस दिन के लाभों का पूरा अनुभव कर सकते हैं।

आप इस दिन की पूजा को आसानी से अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं, और इसके सकारात्मक प्रभावों का अनुभव कर सकते हैं।

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