Step Up SIP का बढ़ता क्रेज, लेकिन सच्चाई जानकर दंग रह जाएंगे आप! SIP बनाम Step-Up SIP: असली फर्क क्या है और कौन सा बेहतर है?

  • On: September 12, 2025
Follow Us:
एक हिंदी ग्राफिक जिसमें SIP और Step-Up SIP की तुलना दिखाई गई है। बाईं ओर नीले बैकग्राउंड पर एक गुल्लक में एक रुपया सिक्का डाला जा रहा है (SIP), जबकि दाईं ओर पीले बैकग्राउंड पर Step-Up SIP में तीन सिक्के ऊपर-नीचे रखे हुए दिखाए गए हैं। ऊपर लिखा है – SIP बना

निवेश (Investment) करना आसान नहीं होता, खासकर जब आपके सामने अलग-अलग शब्द आते हैं जैसे SIP और Step-Up SIP (या Top-Up SIP)। बहुत से निवेशक यह सोचकर उलझ जाते हैं कि इनमें से कौन सा विकल्प सही रहेगा। आइए समझते हैं दोनों के बीच का फर्क, फायदे-नुकसान और कौन सा आपके लिए बेहतर हो सकता है।


SIP क्या है?

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) एक तरीका है जिसमें आप हर महीने या तय समय पर एक निश्चित रकम म्यूचुअल फंड में लगाते हैं। यह रकम आपके बैंक खाते से ऑटोमैटिक कट जाती है।

SIP के फायदे:

  • नियमित निवेश की आदत डालता है।

  • मार्केट के उतार-चढ़ाव का असर कम करता है (कभी सस्ते में ज्यादा यूनिट्स, कभी महंगे में कम यूनिट्स)।

  • लंबे समय में कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि ब्याज) का फायदा मिलता है।

  • निवेश राशि तय और आसान रहती है।

SIP की कमी:

  • निवेश राशि फिक्स्ड होती है, जो आमदनी बढ़ने या महंगाई बढ़ने के बावजूद वही रहती है।

  • आपको हर साल खुद से राशि बदलनी पड़े तो झंझट बढ़ सकता है।

  • महंगाई की वजह से लंबे समय में फिक्स्ड SIP का असर कम हो सकता है।

इसे भी जाने:- 1700 रुपए की SIP से बनेगा 50 लाख का फंड, कितने सालों में? जानिए यहां


Step-Up SIP क्या है?

स्टेप-अप SIP (या टॉप-अप SIP) सामान्य SIP का ही नया रूप है। इसमें आप शुरुआत में एक तय राशि निवेश करते हैं, लेकिन हर साल या तय अंतराल पर उस राशि को बढ़ाते जाते हैं।

उदाहरण: अगर आपने Rs. 5,000 मासिक SIP शुरू किया और हर साल 10% बढ़ाने का विकल्प चुना, तो दूसरे साल आपकी SIP Rs. 5,500 हो जाएगी, तीसरे साल लगभग Rs. 6,050 और इसी तरह आगे।


Step-Up SIP के फायदे

फायदा

क्यों ज़रूरी है

आमदनी के साथ निवेश बढ़ाना

जैसे-जैसे आपकी सैलरी या कमाई बढ़ेगी, वैसे-वैसे निवेश भी बढ़ेगा।

महंगाई से बचाव

खर्चे बढ़ते हैं, इसलिए निवेश भी बढ़ना चाहिए ताकि असली वैल्यू बनी रहे।

बड़ा कॉर्पस तैयार करना

बढ़ते निवेश और कंपाउंडिंग की वजह से लंबे समय में बहुत ज्यादा फंड बनता है।

ऑटोमैटिक बढ़ोतरी

एक बार सेट करने के बाद आपको हर साल खुद बदलाव नहीं करना पड़ता।


Step-Up SIP के नुकसान भी हैं

  • यह तभी काम करता है जब आपकी आमदनी नियमित रूप से बढ़े।

  • बहुत ज्यादा प्रतिशत चुनने पर आगे चलकर बोझ बढ़ सकता है।

  • खर्चों और बढ़ते निवेश के बीच संतुलन न रहे तो परेशानी हो सकती है।

  • मार्केट रिस्क दोनों में रहता है—SIP हो या Step-Up SIP

  •  

इसे भी जाने:-1700 रुपए की SIP से बनेगा Rs. 50 लाख का फंड, कितने सालों में? जानिए यहां


उदाहरण से समझिए

मान लीजिए आपने 10 साल के लिए Rs. 10,000 मासिक SIP शुरू की।

  • नॉर्मल SIP (Rs. 10,000 फिक्स्ड)

    • कुल निवेश = Rs. 12 लाख

    • अनुमानित वैल्यू (12% रिटर्न पर) ≈ Rs. 23.2 लाख

  • Step-Up SIP (हर साल 10% बढ़ोतरी)

    • कुल निवेश = लगभग Rs. 19.1 लाख

    • अनुमानित वैल्यू (12% रिटर्न पर) ≈ Rs. 33.7 लाख

यानी Step-Up SIP में आप ज्यादा निवेश करते हैं, और अंत में कहीं ज्यादा बड़ा कॉर्पस मिलता है।


कौन सा बेहतर है – SIP या Step-Up SIP?

  • अगर आप नए निवेशक हैं या आपकी आमदनी फिलहाल सीमित है → साधारण SIP सही रहेगा।

  • अगर आपको भरोसा है कि आपकी आमदनी समय के साथ बढ़ेगी → Step-Up SIP बेहतर विकल्प है।

  • लंबे समय (10+ साल) के लक्ष्य जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की पढ़ाई या शादी के लिए Step-Up SIP महंगाई से बचाता है।

  • ध्यान रखें कि यह आपके बजट पर भारी न पड़े।

इसे भी जाने:- जमा करें 27 हजार, मिलेगा 12 लाख से ज्यादा रिटर्न


निष्कर्ष

दोनों ही तरीके निवेशकों के लिए अच्छे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि Step-Up SIP आपकी आय और महंगाई दोनों के साथ चलती है और लंबे समय में ज्यादा फायदा देती है। अगर आप हर साल अपनी SIP को आराम से बढ़ा सकते हैं, तो Step-Up SIP आपको बड़ा फंड बनाने में मदद करेगी।

Share this post:

0 Comments

No reviews yet.

Leave A Comment

Latest Post