रात में ही क्यों होती है ज्यादातर शादियां? जानिए कब और कैसे शुरू हुई यह परंपरा

  • On: November 29, 2025
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रात में होने वाली हिंदू शादी की परंपरा और इसका धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के लिए सुबह का समय सबसे पवित्र माना गया है। आमतौर पर पूजा, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य प्रातःकाल में ही किए जाते हैं। लेकिन एक अनोखी बात यह है कि विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्कार को अधिकतर रात में ही किया जाता है
क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों? इस परंपरा की शुरुआत कब हुई? आइए जानें।

विवाह: 16 संस्कारों में एक प्रमुख संस्कार

हिंदू धर्म में विवाह केवल एक सामाजिक व्यवस्था नहीं, बल्कि सोलह संस्कारों में शामिल एक पवित्र अनुष्ठान है।
विवाह से पहले और बाद में कई महत्वपूर्ण रस्में निभाई जाती हैं। यह एक ऐसा उत्सव है जिसकी तैयारियां कई दिनों—कभी-कभी महीनों—पहले से शुरू हो जाती हैं।
विवाह के बाद पति-पत्नी एक नए जीवन की शुरुआत करते हैं, इसलिए इसका मुहूर्त, समय और वातावरण बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

1. रात में शादी इसलिए होती है क्योंकि शुभ मुहूर्त अधिकतर रात को ही बनते हैं

पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, विवाह के लिए शुभ समय नक्षत्रों, ग्रहों और राशियों की स्थिति देखकर निकाला जाता है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि:

  • शुभ लग्न

  • शुभ नक्षत्र

  • अनुकूल ग्रह योग

अधिकतर शाम या देर रात में बनते हैं।
इसलिए सदियों से विवाह को इन्हीं शुभ समय में करने की परंपरा चलती आ रही है।

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2. चंद्रमा को माना जाता है प्रेम और स्थिरता का प्रतीक

हिंदू मान्यता के अनुसार, चंद्रमा प्रेम, शीतलता और स्थिरता का प्रतीक है।
रात में चंद्रमा की उपस्थिति को विवाह के लिए शुभ माना गया है, क्योंकि—

  • चंद्रमा को प्राकृतिक साक्षी माना जाता है

  • चांद की रोशनी शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनाती है

इसीलिए चांदनी रात में विवाह सम्पन्न कराने की परंपरा काफी पुरानी मानी जाती है।

3. ध्रुव तारा पति-पत्नी के स्थायी रिश्ते का प्रतीक

रात के समय आकाश में चमकता ध्रुव तारा (Polar Star) अटल, स्थिर और कभी न बदलने वाला माना गया है।
इसी कारण—

  • इसे विवाह का प्रतीक माना गया

  • पति-पत्नी ध्रुव तारे को साक्षी मानकर अपने रिश्ते की स्थिरता की कामना करते हैं

यह भी रात में विवाह होने का एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक कारण है।

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4. प्राचीन समय की सुरक्षा व्यवस्था भी एक बड़ा कारण

पुराने समय में यात्रा करना और आयोजन करना दिन में अधिक जोखिम भरा माना जाता था, क्योंकि—

  • लुटेरों और डाकुओं का खतरा

  • जंगली जानवरों का भय

  • गर्मी और धूप में असुविधा

इसलिए ज्यादातर गांवों और कस्बों में लोग रात को विवाह करते थे, जब पूरा समुदाय एक साथ जागकर बारात और समारोह की सुरक्षा करता था। यही कारण है कि राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे कई राज्यों में रात में विवाह की परंपरा मजबूत हो गई।

5. रात की ठंडक और सहज माहौल

भारत के उत्तरी राज्यों में गर्मी अधिक होती है। ऐसे में—

  • रात का ठंडा मौसम

  • बिना धूप की परेशानी

  • मेहमानों का आराम

  • भोजन एवं रस्मों का बेहतर संचालन

रात में विवाह को अधिक उपयुक्त बनाता है। यही कारण है कि रात की शादियां, मौसम के लिहाज से भी बेहद सुविधाजनक साबित होती हैं।

निष्कर्ष

हालांकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिन के समय कई शुभ कार्य किए जाते हैं, लेकिन विवाह का शुभ समय ज्योतिषीय रूप से अधिकतर रात में ही बनता है।
इसके साथ ही चंद्रमा, ध्रुव तारा, सुरक्षा कारण और रात का मनभावन वातावरण इस परंपरा को और भी मजबूती देते हैं।

आज भी भारत के अनेक राज्यों में रात की शादियां सबसे ज्यादा होती हैं, जो हमारी प्राचीन संस्कृति, परंपरा और वैज्ञानिक सोच का सुंदर मेल दिखाती हैं।

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