हवा से नाइट्रोजन लेकर खुद खाद बनाएंगी गेहूं-धान की किस्में! खेती में क्रांति की उम्मीद

  • On: December 1, 2025
Follow Us:
हवा से नाइट्रोजन लेकर खाद बनाने वाली गेहूं की नई किस्म

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस के वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी सफलता हासिल की है।
खेतों में उपयोग होने वाली रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती कीमतों और पर्यावरणीय प्रभाव को देखते हुए, कृषि विज्ञान में एक बड़ी क्रांति का आगमन होने वाला है। अमेरिका के प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके तहत गेहूं की नई किस्में अब हवा से नाइट्रोजन लेकर खुद खाद तैयार कर सकेंगी। इस नई किस्म को विकसित करने के लिए CRISPR-Cas9 जीन एडिटिंग टूल का इस्तेमाल किया गया है, जिससे गेहूं के पौधे हवा से नाइट्रोजन अवशोषित कर उसे अपनी वृद्धि के लिए उपयोग कर सकेंगे।

गेहूं की नई किस्म में नाइट्रोजन फिक्सेशन: कैसे काम करेगा?

नाइट्रोजन खेती के लिए एक अहम पोषक तत्व है, जिसे सामान्यत: रासायनिक उर्वरकों के रूप में खेतों में डाला जाता है। हालांकि, इन रासायनिक उर्वरकों का उत्पादन महंगा होता है और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालता है। किसानों को इन उर्वरकों की भारी कीमतों से भी जूझना पड़ता है।
लेकिन इस नई तकनीक के तहत, गेहूं की किस्में हवा से नाइट्रोजन लेकर उसे अपने पौधों के लिए फायदेमंद बनाएंगी। इस प्रक्रिया को नाइट्रोजन फिक्सेशन कहा जाता है। इससे गेहूं की खेती को प्राकृतिक रूप से खाद मिल सकेगी और किसानों को कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त होगी।

Read Also : घर पर शलजम उगाने के लिए बेहतरीन बीज – जानिए कहां से मंगाएं और क्यों यह आपके लिए है फायदेमंद

CRISPR-Cas9 जीन एडिटिंग टूल का योगदान

इस अद्भुत कार्य को अंजाम देने में CRISPR-Cas9 जीन एडिटिंग टूल का अहम योगदान है। इस तकनीक का उपयोग करके वैज्ञानिकों ने गेहूं के पौधों में जीन परिवर्तन किए हैं ताकि वे वातावरण से नाइट्रोजन अवशोषित कर सकें, ठीक उसी तरह जैसे दलहन अपनी जड़ में नाइट्रोजन फिक्सेशन करते हैं।
इस जीन एडिटिंग तकनीक ने पारंपरिक विधियों के मुकाबले बहुत तेजी से और प्रभावी रूप से इस किस्म को विकसित करने में मदद की है। इस सफलता को डॉ. एडुआर्दो ब्लमवाल्ड, जो प्लांट साइंसेज डिपार्टमेंट के प्रमुख वैज्ञानिक हैं, ने अपने नेतृत्व में पूरा किया।

किसान के लिए फायदे

  • कम लागत, अधिक उत्पादकता

इस नई किस्म के गेहूं में नाइट्रोजन फिक्सेशन की क्षमता बढ़ने से, किसानों को अब रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होगी। इससे उनकी खर्चे में भारी कमी आएगी और वे अधिक लाभ कमा सकेंगे।

  • पर्यावरण की रक्षा

रासायनिक उर्वरकों के कम उपयोग से पर्यावरण पर होने वाला दबाव भी घटेगा। यह तकनीक कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने में सहायक साबित होगी।

  • सार्वभौमिक खेती में वृद्धि

इस तकनीक से न केवल गेहूं, बल्कि अन्य फसलों के उत्पादन में भी वृद्धि हो सकती है। यदि यह तकनीक सफल रहती है, तो यह धान, जौ, और अन्य फसलों के लिए भी उपयोगी हो सकती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और भविष्य

प्रो. के.सी. बंसल, जो ICAR-NBPGR के पूर्व निदेशक हैं, ने इस रिसर्च को लेकर कहा कि यह तकनीक कृषि क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। उनका मानना है कि यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो इससे न केवल खाद्य सुरक्षा में मदद मिलेगी, बल्कि यह भारत और दुनिया भर में कृषि क्रांति का हिस्सा बन सकता है।

नाइट्रोजन फिक्सेशन का महत्व

नाइट्रोजन फिक्सेशन वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ पौधे हवा से नाइट्रोजन को अवशोषित करते हैं। यह नाइट्रोजन पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक होता है। सामान्यत: यह प्रक्रिया दलहन जैसे मटर और चना में पाई जाती है, लेकिन अब गेहूं में भी इसे लागू किया जा सकता है।

Read Also : मसूर की ये खास वैरायटी ऑनलाइन मंगाएं, मिलेगी ज्यादा पैदावार – जानें इसकी खासियत

निष्कर्ष

यह शोध कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है, खासकर विकासशील देशों में, जहां किसान रासायनिक उर्वरकों पर बहुत निर्भर होते हैं। इस तकनीक के सफल होने पर न केवल किसान की लागत घटेगी, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होगा। हालांकि, इस तकनीक को और अधिक विकसित करने की आवश्यकता है ताकि इसे व्यावसायिक स्तर पर लागू किया जा सके और किसानों को लाभ मिल सके।

अंततः, इस शोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विज्ञान और तकनीक का उपयोग कर हम कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव ला सकते हैं और एक नई, स्थिर और सस्ती कृषि व्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

Tags: CRISPR, | nitrogen fixation, | agriculture innovation, | sustainable farming, | crop genetics, | plant science, | environmental impact, | wheat varieties, | farming technology,
Share this post:

0 Comments

No reviews yet.

Leave A Comment

Latest Post