10 साल में सबसे कम हुई महंगाई, GST कटौती का दिखा असर: भारत में महंगाई की स्थिति पर एक नजर

  • On: November 13, 2025
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भारत में महंगाई की स्थिति और GST कटौती का असर, अक्टूबर 2025

भारत में अक्टूबर 2025 के आंकड़े यह साफ करते हैं कि महंगाई पर नियंत्रण पाया गया है, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे कम स्तर पर पहुंच गई है। खासतौर पर सब्जियों और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के चलते आम आदमी की जेब पर बोझ कम हुआ है। साथ ही, जीएसटी (GST) दरों में कटौती का भी इसका सकारात्मक असर देखने को मिला है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे महंगाई में आई कमी, खासकर खाद्य पदार्थों की सस्ती कीमतों और GST कटौती के कारण, भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर डाल रही है।

महंगाई में कमी: अक्टूबर 2025 के आंकड़े

अक्टूबर 2025 में भारत में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) घटकर 0.25% पर आ गई, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे निचला स्तर है। यह सितंबर 2025 की दर 0.54% से कम है। इसका मतलब यह है कि पिछले कुछ महीनों में महंगाई में लगातार गिरावट आई है। खास बात यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का महंगाई लक्ष्य 4% था, और यह लगातार चार महीने से इस सीमा से नीचे बनी हुई है। इसके अलावा, महंगाई की दर अब सातवें महीने के लिए केंद्रीय बैंक की ऊपरी सीमा 6% से भी कम रही है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।

खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट

महंगाई में कमी की सबसे बड़ी वजह खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई गिरावट है। विशेष रूप से सब्ज़ियों के दाम में पिछले छह महीनों से लगातार दो अंकों की गिरावट देखी जा रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतों का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में लगभग आधा हिस्सा होता है, और जब खाने-पीने की चीजों के दाम घटते हैं, तो इसका सीधा असर समग्र महंगाई पर पड़ता है।

GST दरों में कटौती का प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों में हाल ही में की गई कटौती का भी महंगाई पर असर पड़ा है। सितंबर के अंत में सरकार ने कई जरूरी वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कमी की थी। इसका सीधा असर बाजार में वस्तुओं की कीमतों पर पड़ा, जिससे महंगाई में और गिरावट आई। इस कटौती ने उपभोक्ताओं के लिए राहत की स्थिति उत्पन्न की है, क्योंकि वस्तुएं सस्ती हुईं और उनके खर्चों में कमी आई।

अर्थव्यवस्था की रफ्तार और महंगाई की स्थिति

महंगाई घटने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज बनी हुई है। अप्रैल-जून 2025 तिमाही में भारत की जीडीपी (GDP) करीब 8% की दर से बढ़ी है। इसका मतलब है कि उत्पादन और खर्च में तेजी तो है, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। यही वजह है कि अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी महीनों में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, ताकि विकास को और बढ़ावा मिल सके।

RBI का नया अनुमान और भविष्यवाणी

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी हालिया बैठक में कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात नीतिगत ढील (Rate Cut) के लिए अनुकूल हैं। हालांकि, RBI ने फिलहाल ब्याज दरों को स्थिर रखा है। RBI का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2026 में महंगाई घटकर 2.6% रह सकती है, जो पहले के 3.1% के अनुमान से काफी कम है। RBI ने भविष्य में महंगाई का अनुमान तिमाही दर पर भी पेश किया है:

  1. दूसरी और तीसरी तिमाही: महंगाई 1.8% तक रह सकती है।
  2. चौथी तिमाही: महंगाई 4% तक पहुंच सकती है।
  3. अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही: महंगाई 4.5% तक रह सकती है।

महंगाई पर भविष्य में असर डालने वाले फैक्टर

हालांकि, RBI ने भविष्य में महंगाई में उतार-चढ़ाव की चेतावनी भी दी है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि भू-राजनीतिक तनाव, व्यापारिक अवरोध और आयात शुल्क में बदलाव जैसे कारण महंगाई पर असर डाल सकते हैं। इन बाहरी कारकों का ध्यान रखते हुए, RBI आगे की नीतियों को निर्धारित करेगा।

अक्टूबर 2025 के आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि भारत में महंगाई पर नियंत्रण पाया गया है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट और जीएसटी दरों में कमी ने इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई है। भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों और स्थिर अर्थव्यवस्था के बावजूद महंगाई में कमी आई है, जो आने वाले महीनों में और अधिक राहत दे सकती है। हालांकि, बाहरी कारकों से महंगाई पर असर हो सकता है, इसलिये हर क्षेत्र को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

महंगाई के इस स्थिर स्तर का देश की जनता को लाभ होगा, और इससे उनके जीवन स्तर में सुधार की उम्मीद जताई जा सकती है।

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