PM किसान सम्मान निधि योजना: बिहार-झारखंड के किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा, जानिए कारण और समाधान

  • On: December 13, 2025
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, बिहार और झारखंड के किसान, ई-केवाईसी, भूमि रिकॉर्ड सुधार

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की सहायता दी जाती है। हालांकि, बिहार और झारखंड के कई किसान अब भी इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसके पीछे कुछ अहम कारण सामने आए हैं, जिन्हें सुलझाकर इस योजना का अधिक से अधिक लाभ सुनिश्चित किया जा सकता है।

बिहार-झारखंड के किसानों को क्यों नहीं मिल रहा लाभ?

पिछले दिनों बिहार और झारखंड के किसानों पर एक विस्तृत अध्ययन किया गया, जिससे कुछ प्रमुख कारण सामने आए, जिनकी वजह से किसान योजना का लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।

  • ई-केवाईसी का न होना: बिहार और झारखंड के कई किसान अब तक अपना ई-केवाईसी (ई-केवाईसी) अपडेट नहीं करा पाए हैं। यह प्रक्रिया इस योजना के लिए अनिवार्य है। किसानों के पास डिजिटल साक्षरता का अभाव होने के कारण वे यह प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
  • भूमि रिकॉर्ड में त्रुटियाँ: कई किसानों के भूमि रिकॉर्ड में त्रुटियाँ पाई गईं हैं। इससे उनका पंजीकरण अधूरा रह जाता है, जिससे उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
  • डिजिटल प्रोसेस की दिक्कतें: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल प्रक्रियाओं को लेकर बड़ी समस्याएँ हैं। बहुत से किसान मोबाइल के मैसेज नहीं पढ़ पाते या पोर्टल पर जानकारी अपडेट नहीं कर पाते। इसके परिणामस्वरूप उनका पंजीकरण अधूरा रह जाता है, और उनकी किस्तें रुक जाती हैं।

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सर्वेक्षण और रिपोर्ट के निष्कर्ष

केंद्र सरकार ने बिहार और झारखंड के किसानों के बीच एक सर्वेक्षण किया है, जिसमें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कृषि आर्थिक अनुसंधान केंद्र ने महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 81.25 प्रतिशत किसानों ने स्वीकार किया कि डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के कारण बिचौलिया संस्कृति लगभग समाप्त हो गई है और उन्हें सीधे उनके बैंक खातों में धनराशि प्राप्त हो रही है। इस पहल का सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ा है।

हालाँकि, सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि कई किसान अब भी योजना से वंचित हैं, और इसकी प्रमुख वजहें ई-केवाईसी, पोर्टल अपडेट और भूमि रिकॉर्ड की समस्याएँ हैं। इसके अलावा, कई किसानों ने योजना की राशि बढ़ाने की मांग भी की है, क्योंकि खेती की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है।

सरकार से अपील: किसानों की डिजिटल साक्षरता बढ़ानी चाहिए

रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि किसानों की डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष अभियान चलाना चाहिए। इसके माध्यम से किसानों को ई-केवाईसी, पोर्टल अपडेट, और मोबाइल पर आने वाले मैसेज पढ़ने की प्रक्रिया से परिचित कराया जा सकता है। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि योजना से जुड़े मैसेजों में वॉयस मैसेज की सुविधा जोड़ी जाए, ताकि उन किसानों को भी मदद मिल सके जो टेक्नोलॉजी से परिचित नहीं हैं।

भूमि रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करने की आवश्यकता

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि झारखंड में अब भी 1932 के आधार पर पुराने भूमि दस्तावेज प्रचलित हैं, जो डिजिटल रिकार्ड्स के साथ मेल नहीं खाते। इससे कई किसान योजना से बाहर रह जाते हैं। सरकार से अपील की गई है कि भूमि रिकॉर्ड को पूरी तरह से कंप्यूटरीकृत किया जाए, ताकि किसान बिना किसी समस्या के योजना का लाभ उठा सकें।

कृषि आर्थिक अनुसंधान केंद्र के सुझाव

कृषि आर्थिक अनुसंधान केंद्र ने इस रिपोर्ट में कई अहम सुझाव दिए हैं, जिनमें प्रमुख सुझाव यह हैं:

  • किसानों को समय पर राशि देना: रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कई बार किसानों को समय पर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि नहीं मिल पाती, जिससे उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकार से अनुरोध है कि किसानों को समय पर सहायता दी जाए।
  • डिजिटल फाइनेंशियल साक्षरता अभियान: किसानों में डिजिटल साक्षरता की कमी को दूर करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाए, ताकि वे योजना के हर पहलू को समझ सकें और उसका पूरा लाभ उठा सकें।
  • योजना की नियमित निगरानी: योजना की नियमित निगरानी और मूल्यांकन जारी रखने की आवश्यकता है, ताकि कोई भी लाभार्थी योजना से वंचित न रह जाए।

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सारांश

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को सहायता प्रदान करना सरकार का एक बड़ा कदम है, लेकिन बिहार और झारखंड के किसानों के लिए यह योजना उतनी प्रभावी नहीं हो पाई है जितनी होनी चाहिए थी। ई-केवाईसी, भूमि रिकॉर्ड की त्रुटियाँ और डिजिटल साक्षरता की कमी जैसी समस्याएँ इसके मुख्य कारण हैं। इसके बावजूद, सरकार को इस योजना की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।

किसानों को इस योजना से जोड़ने के लिए सरकार को निरंतर प्रयास करना चाहिए और किसानों को डिजिटल तकनीकी के लाभ से अवगत कराना चाहिए।

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